मणि माला का अर्थ
[ meni maalaa ]
मणि माला उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञाउदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- गुंथे संपोलों नाग बिच्छुओं को मणि माला कहते हैं !
- उनके गाए एलबम ‘पतित पावन सीताराम ' , ‘भजन सुमन', ‘राम माला मणि माला', ‘सुंदरकांड', ‘श्रीहरि सुमिरन', ‘दोहावली', और ‘जब लागी हो लगन' घर घर में लोकप्रिय हैं।
- सुदर्शन की मालाराष्ट्र देवी के सुभ्र चरणों में शोभित मोहन मणि माला अमिय पियो शत् शरद जियो बैभव का पावन शिखर चढोभारत को जगत गुरु करने हम
- रति विलाप ' , ' चिर स्वयंवरा ' , ' करिए छिमा ' , ' उपप्रेती ' , ' स्वयंसिद्धा ' , ' कृष्णवेली ' , ' मणि माला की हँसी ' , ' पूतों वाली ' , ' माणिक ' आदि रचनाओं में शिवानी की कहानियाँ प्रकाशित हैं।
- रति विलाप ' , ' चिर स्वयंवरा ' , ' करिए छिमा ' , ' उपप्रेती ' , ' स्वयंसिद्धा ' , ' कृष्णवेली ' , ' मणि माला की हँसी ' , ' पूतों वाली ' , ' माणिक ' आदि रचनाओं में शिवानी की कहानियाँ प्रकाशित हैं।
- रति विलाप ' , ' चिर स्वयंवरा ' , ' करिए छिमा ' , ' उपप्रेती ' , ' स्वयंसिद्धा ' , ' कृष्णवेली ' , ' मणि माला की हँसी ' , ' पूतों वाली ' , ' माणिक ' आदि रचनाओं में शिवानी की कहानियाँ प्रकाशित हैं।
- रति विलाप ' , ' चिर स्वयंवरा ' , ' करिए छिमा ' , ' उपप्रेती ' , ' स्वयंसिद्धा ' , ' कृष्णवेली ' , ' मणि माला की हँसी ' , ' पूतों वाली ' , ' माणिक ' आदि रचनाओं में शिवानी की कहानियाँ प्रकाशित हैं।
- जग प्रपंच से मोह नहीं है तभी कहलाते हो मोहनभारत चिन्मय आदि शक्ति है परम भागवत त्वं स्वोहम केशव माधव मधुकर रज्जू दिब्य सुदर्शन की मालाराष्ट्र देवी के सुभ्र चरणों में शोभित मोहन मणि माला अमिय पियो शत् शरद जियो बैभव का पावन शिखर चढोभारत को जगत गुरु करने हम . ..
- प्रथम प्रकार के अभिप्राय वे हैं जो विशुद्ध रुप से भारतीय हैं और गांधार कला के सम्पर्क के पूर्व बराबर व्यवछत होते थे , इनमें पशु-पक्षियों के अतिरिक्त दोहरे छत वाल विहार , गवाक्ष , वातायन , वेदिकाएँ , कपि-शीर्ष , कमल , मणि माला , पंच्चवाट्टिका , घण्टावली , हत्थे या पंचाङ्गुलितल , अष्ट मांगलिक चिन्ह यथा पूर्णघट भद्रासन , स्वास्तिक , मीन-युग्म , शराव-सम्पुट , श्रीवत्स , रत्नपात्र , व त्रिरत्न आदि का समावेश होता है।
- प्रथम प्रकार के अभिप्राय वे हैं जो विशुद्ध रुप से भारतीय हैं और गांधार कला के सम्पर्क के पूर्व बराबर व्यवछत होते थे , इनमें पशु-पक्षियों के अतिरिक्त दोहरे छत वाल विहार , गवाक्ष , वातायन , वेदिकाएँ , कपि-शीर्ष , कमल , मणि माला , पंच्चवाट्टिका , घण्टावली , हत्थे या पंचाङ्गुलितल , अष्ट मांगलिक चिन्ह यथा पूर्णघट भद्रासन , स्वास्तिक , मीन-युग्म , शराव-सम्पुट , श्रीवत्स , रत्नपात्र , व त्रिरत्न आदि का समावेश होता है।